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मार्च, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरु की शहादत

देश के लिए किया गया कोई भी योगदान छोटा या बड़ा नहीं होता, वह महनीय ही होता है। शहादतों की तूलना करना किसी भी शहादत का अपमान ही करना है। भगत सिंह-सुखदेव-राजगुरु की शहादत इसलिए बड़ी नहीं है कि किसी और महापुरुष की शहादत छोटी है, बल्कि वह शहादत बड़ी है ही क्योंकि वो प्यारे भारत के लिए की गई थी। मेरी विनम्र श्रद्धांजली...!!!

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी

साल 1996....!!! अखबार का पहला पन्ना थोड़ा-थोड़ा समझ आने लगा था। 'राव बनाएं, फिर सरकार' के पोस्टरों को फाड़ सहसा एक लोकप्रिय नेता भारत का प्रधानमंत्री बनने जा रहा था। उस जमाने में हम सभी उनकी तरह बोलने की नकल करते थे। शब्दों के बीच का अंतराल चमत्कार पैदा करता था, क्योंकि सहसा वे कुछ ऐसा कह जाते थे, जिसकी मिठास घंटो घुली होती मन में...! हिन्दी भाषा कितनी गरिमामयी हो सकती है...ये हम महसूस कर रहे थे...आज भी कह सकता हूं, मातृभाषा में जो बात है वो आंग्लभाषा में कहां...? श्री अटल बिहारी वाजपेयी....! मेरे होश में तो यदि राष्ट्रपति के तौर पर कलाम साहब ज़ेहन में छाए रहेंगे हमेशा तो प्रधानमंत्री के तौर पर अटल जी की जगह कोई नहीं ले सकेगा। प्रधानमंत्री जो कवि-हृदय हो, सक्रिय और जमीनी राजनीति का लंबा अनुभव लिए हो, समर्पित हो और बेदाग भी हो, स्पष्टवादी भी हो और मृदुभाषी भी हो...! विदेश नीति पर जिसकी व्यक्तिगत छाप हो...., सिद्धान्तवादी भी हो और समन्वयवादी भी हो....और दूजा कौन - भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी...!!! भारत रत्न जब वाकई भारत के रत्न को मिलता है तो खुशी भी मुकम्मल होत

In dealing with Pakistan...

In dealing with Pakistan, major obstacle is that to whom you should deal. In Pakistan, there are several power centres but none is accountable. Achchhe din vali Government must deal with those International actors on which Pakistan is fairly dependent. As a country, until we don't have capacity to bargain and negotiate with those actors, we cannot ever come in a position to resolve problems regarding Pakistan.  Diplomatic-economic inability of New Delhi is taking continuously precious lives of our beloved and great soldiers on borders. Our borders are compromised just because; Delhi often merely believes in rhetoric and slogans rather than concrete actions.  ‪#‎ श्रीशउवाच‬